Delhi Air Pollution 2021: गैस चैंबर में तब्दील नहीं होगी दिल्ली, 15 अक्टूबर से लागू हो जाएगा GRAP
इस बार सर्दियों में राजधानी दिल्ली को गैस चैंबर नहीं बनने देने के लिए केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग पुख्ता तैयारी कर रहा है। पहली बार एनसीआर के कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र (थर्मल पावर प्लांट) भी बंद करने का निर्णय लिया गया है। केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (सीईआरसी) ने जरूरत के अनुसार बिजली वितरण कंपनियों को वैकल्पिक प्रबंध करने का दिया निर्देश भी जारी कर दिया है।
गौरतलब है कि अगले महीने 15 अक्टूबर से दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू हो जाएगा, जो 15 मार्च तक लागू रहेगा। इस दौरान वायु प्रदूषण के विभिन्न चार स्तरों के अनुसार अन्य सभी प्रतिबंध तो अमल में आ ही जाएंगे, पहली बार कोयला संयंत्र भी बंद किए जाएंगे। हालांकि ऐसी व्यवस्था केवल प्रदूषण के गंभीर स्थिति में पहुंचने पर होगी।
आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सर्दियों के दौरान जब जब भी वायु प्रदूषण का स्तर 400 से ऊपर गंभीर स्थिति में जाएगा, हवा की दिशा भी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की साइड वाली होगी तो एनसीआर के सभी कोयला संयंत्र बंद कर दिए जाएंगे। स्थिति में सुधार होते ही उन्हें पुन: चालू कर दिया जाएगा। इस दौरान बिजली आपूर्ति सुनिश्चित बनाए रखने के लिए अक्षय ऊर्जा का भी सहारा लिया जाएगा। सीईआरसी ने बिजली वितरण कंपनियों के साथ साथ नार्दर्न रिजन लोड डिस्पेच सेंटर (एनआरएलडीसी) और सभी राज्यों के स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर (एसएलडीसी) से बात कर ली है।
ऐसे करते हैं हवा को प्रदूषित
इन संयंत्रों से जो धुआं निकलता है, उसमें सल्फर डाइआक्साइड व नाइट्रोजन डाइआक्साइड जैसी खतरनाक गैसें निकलती हैं। यह गैसें वायुमंडल में समाहित होकर स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालती हैं। आइआइटी कानपुर ने हाल ही में दिल्ली की हवा का अध्ययन किया। अध्ययन के लिए सल्फर, लेड, सेलेनियम, और आर्सेनिक जैसे तत्वों का चयन किया गया, क्योंकि इनकी मदद से ही इसका सही अनुमान मिल पाता कि पीएम 2.5 में कोयला संचालित ऊर्जा उत्पादन संयंत्रों का योगदान कितना है। अध्ययन में सामने आया कि दिल्ली के पीएम 2.5 में इन संयंत्रों का योगदान आठ फीसद तक है।
दादरी, झज्जर और पानीपत में चल रहे कोयला संयंत्र
दिल्ली के वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए यहां के तीनों कोयला संचालित बिजली संयंत्र राजघाट पावर हाउस, इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड और बदरपुर थर्मल पावर स्टेशन पहले ही बंद किए जा चुके हैं, लेकिन एनसीआर में दादरी, झज्जर और पानीपत में अभी भी चल रहे हैं। न तो इन्हें कोयले से गैस में तब्दील किया गया है और न ही नई तकनीक पर लाया गया है।
डा. केजे रमेश (तकनीकी सदस्य, केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) का कहना है किपराली प्रबंधन के लिए तो यथासंभव उपाय किए किए ही जा रहे हैं, पहली बार थर्मल प्लांट बंद करने की अस्थायी व्यवस्था भी की जा रही है। आपात स्थिति में दिल्ली को गैस चैंबर न बनने देने के लिए कुछ कड़े निर्णय लेने पड़ रहे हैं। हालांकि इससे बिजली आपूर्ति प्रभावित न हो, इसका भी ध्यान रखा जा रहा है।
GRAP के तहत इन पर लगेगी रोक
- दिल्ली-एनसीआर में ग्रेप के तहत 15 अक्टूबर से 15 मार्च तक कई तरह के प्रतिबंध रहेगी।
- 15 अक्टूबर से डीजल जेनरेटर सेट पर भी रोक लग जाएगी।
- सड़कों की सफाई तकनीक के जरिये करने की शुरुआत होगी।
- कच्ची और टूटी सड़कों पर पानी का छिड़काव शुरू हो जाएगा।
- निर्माण कार्य वाली साइटों पर निरीक्षण और धूल से रोकने के इंतजाम होंगे।
- गाड़ियों की सघन चेकिंग होगी।
- ट्रैफिक जाम न लगे, इसकी कोशिश करने जैसे निर्देश जारी होंगे।
- होटल, रेस्तरां और ढाबों में कोयला और लकड़ी जलाने पर भी रोक लग जाएगी।
- ईंट भट्ठे वही चलाए जा सकेंगे जो जिग जैग तकनीक वाले होंगे।
- हॉट मिक्स प्लांट व स्टोन क्रशर पर धूल बैठाने वाले उपाय होंगे।