कुदरत का कहर: गत पचास साल में दुनिया में मौसम जनित आपदाओं की संख्या पांच गुना बढ़ी
अमेरिका में बीते दिन आइडा तूफान से बड़े पैमाने पर तबाही हुई। संयुक्त राष्ट्र की संस्था विश्व मौसम संगठन की चौंकाने वाली रिपोर्ट के अनुसार, गत पचास साल में दुनिया में मौसम जनित आपदाओं की संख्या पांच गुना बढ़ी है। तूफान, सूखा और जंगलों में आग का कारण पर्यावरण असंतुलन को माना जा रहा है।
भारत में भी चक्रवात और जंगल में आगजनी में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि बेहतर संसाधनों से इन आपदाओं के कारण मौतों में कमी आई है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि मौसम जनित आपदाओं में क्यों और कितनी वृद्धि हुई तथा कैसे हम इनसे मानव जीवन की क्षति को कम कर सके हैं:
हर साल पांच गुना की हुई बढ़ोतरी
- बीती सदी के सातवें दशक (1970 से 1979) में दुनिया में मौसम के कारण हर साल करीब 711 आपदाएं आती थीं। सन 2000 से 2009 के बीच यह आंकड़ा बढ़कर 3,536 आपदा प्रतिवर्ष पहुंच गया। यानी करीब पांच गुना वृद्धि
- बेल्जियम के सेंटर फार रिसर्च आन एपिडेमियोलाजी आफ डिजास्टर्स के डाटा के अनुसार, 2010 के बाद आपदाओं की संख्या थोड़ी कम हुई और प्रतिवर्ष 3,165 तक सिमट गई
पांच भीषणतम आपदाएं
- सन 2005 में अमेरिका में आए कैटरीना तूफान से करीब 163 खबर डालर का नुकसान हुआ था
- अफ्रीका में 1983 में पड़ा सूखा सबसे भयावह आपदा थी
- बांग्लादेश में 1970 में आया चक्रवात भोला एशिया का सबसे खतरनाक चक्रवात था
तूफान, बाढ़ और सूखे से सर्वाधिक मौतें
- पचास साल में दुनिया में सबसे अधिक मौतें तूफान, बाढ़ और सूखे के कारण हुईं
- 90 फीसद मौतें विकासशील देशों में हुईं जबकि विकसित देशों में इन आपदाओं के कारण विश्व के कुल आर्थिक नुकसान का 60 फीसद नुकसान हुआ
खतरनाक क्षेत्रों में बसने से आर्थिक क्षति बढ़ी
- नुकसान का सबसे बड़ा कारण यह है कि अब अधिक लोग खतरनाक क्षेत्रों में रहने लगे हैं और मौसम जनित आपदाओं की संख्या बढ़ी है
- मानव जीवन को नुकसान कम हुआ, लेकिन आर्थिक नुकसान 1970-79 की तुलना में 2010-2019 में बहुत बढ़ गया
- पिछली सदी के सातवें दशक में यह नुकसान प्रतिवर्ष 17.5 करोड़ डालर था जोकि इस सदी के दूसरे दशक में 1.38 खरब डालर प्रतिवर्ष हो गया
खतरा बढ़ाकर भी कैसे सुरक्षित किया गया इंसानी जीवन
- साउथ कैरोलिना विश्वविद्यालय के हैजर्ड एंड वल्नरेबिलिटी रिसर्च संस्थान की निदेशक सूजैन के अनुसार, फिर भी हम लोगों को नहीं खो रहे हैं, केवल सामान का नुकसान हो रहा है
- संयुक्त राष्ट्र के आपदा व मौसम विभाग के अधिकारियों के अनुसार, मानव जीवन को कम क्षति होने के पीछे मौसम की चेतावनी देने वाला बेहतर तंत्र और समय से अच्छी तैयारी प्रमुख कारण हैं
भारत भी बना रोल माडल
- ओडिशा में 1999 में आए सुपर साइक्लोन में 10 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी, लेकिन इस साल मई में आए चक्रवात यास से मौतों की संख्या बहुत कम रही
- भारत ने आपदा से होने वाले जोखिम के आकलन और प्रबंधन में अच्छी प्रगति की है। यास को मौसम विभाग ने बेहद ताकतवर चक्रवात बताया था
- 25-26 मई को यास का ओडिशा, बंगाल, झारखंड और बिहार में असर दिखा था। केंद्र और राज्य सरकारों के तालमेल से चक्रवात से पहले ही लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया
- भारत में पचास साल में सौ से अधिक तूफान आ चुके हैं और एक स्टडी के अनुसार, 40 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई है