International Dog’s Day: पेट्स भी आते हैं वायरल इंफेक्शन की चपेट में, जानें ‘टिक फीवर’ के बारे में सबकुछ
International Dog’s Day: पेट्स रखने का शौक़ पिछले कुछ सालों में तेज़ी से बढ़ा है। खासतौर पर डॉग्ज़ पालने का चलन भारत में बढ़ता दिखा है। पेट चाहे कोई भी हो, इनकी मौजूदगी आपको बतौर इंसान कई मायनों में बदल देती है। अगर आपके घर डॉग है, तो आपको घर में एक पॉज़ीटिविटी देखने को मिलेगी। यह एक ऐसा जानवर है, जिसे यूं ही इंसानों का पक्का दोस्त नहीं कहा जाता, बल्कि सही मायनों में आपको एक डॉग से बेहतर दोस्त नहीं मिलेगा। हालांकि, इन्हें पालना आसान नहीं है। यह आपके परिवार का हिस्सा होते हैं, जैसे आप अपने मां-बाप, भाई-बहन, पार्टनर या बच्चे का ख्याल रखते हैं, ठीक वैसे ही आपको इनका भी ध्यान रखना होगा। उनकी हेल्थ से लेकर अच्छी डाइट, फिज़ीकल और मेंटल एक्टिविटी और बीमारी तक, आपको हर चीज़ का ख्याल रखना होगा। आज विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय डॉग्स डे मनाया जा रहा है।
इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं, एक ऐसी बीमारी के बारे में कुत्तों में आम है, लेकिन जानलेवा भी साबित हो सकती है। अगर आपके पास भी डॉग्ज़ हैं, या आप नए पेट ओनर हैं, तो ‘टिक फीवर’ के बारे में जानकारी ज़रूर रखनी चाहिए।
क्या है टिक फीवर
कुत्तों में टिक्स की समस्या आम है। हालांकि, ये कुत्तों में ख़तरनाक संक्रमण फैला सकती है। टिक्स कीड़े होते हैं, जो आमतौर पर जानवरों को काट लें, तो उन्हें जानलेवा टिक फीवर हो जाता है। सामान्य तौर पर टिक्स से होने वाले संक्रमण कुत्तों से इंसानों में नहीं फैलते। टिक बॉर्न संक्रमण परजीवियों की वजह से होता है। यह परजीवी कुत्ते के रक्तप्रवाह में प्रवेश कर उन्हें संक्रमित करते हैं। ज़्यादातर मामलों में हफ्तेभर में टिक फीवर के लक्षण दिखने लगते हैं। यह संक्रमण रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसकी वजह से कई समस्याएं हो सकती हैं जैसे एनिमिया, प्लेटलेट्स का तेज़ी से गिरना, क्लॉटिंग डिसऑर्डर। यह संक्रमण लिवर, किडनी और प्लीहा में भी फैल सकता है।
टिक फीवर के लक्षण
टिक इंफेक्शन के शुरुआती लक्षणों में कुत्तों में सुस्ती, भूख न लगना, दस्त व उल्टी और बुख़ार देखा जा सकता है। समय पर इलाज न हो तो खून बहना जैसे मसूड़ों, पेशाब या फिर मल से खून आना, त्वचा पर खून के पैच होना जैसे लक्षण दिखते हैं। यह लक्षण दिखने पर फौरन डॉक्टर को दिखाएं। ब्लड टेस्ट के बाद इस बीमारी की पुष्टि की जाती है।
टिक फीवर का इलाज
समय पर इसका पता चल जाने से डॉक्टर एंटीबायोटिक्स के ज़रिए इलाज करते हैं। इसका इलाज तकरीबन एक महीना चलता है। अगर दवाइयों के बावजूद प्लेटलेट्स बढ़ते नहीं, या हीमाग्लोबिन कम होता है, तो सप्लीमेंट्री ट्रीटमेंट या फिर ब्लड ट्रांसफ्यूजन भी किया जाता है।
टिक फीवर से कैसे करें बचाव
– टिक फीवर आमतौर पर गर्मी और बारिश के मौसम में ज़्यादा होता है। इसलिए इस मौसम में रोज़ाना अपने पेट के शरीर की जांच करें , कहीं टिक्स न हों। खासतौर पर पंजों के बीच, पूंछ, चेहरे के आसपास, कानों के आसपास ज़रूर देखें।
– टिक के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, लेकिन स्प्रे आपको मिल जाएंगे, जिनका आप उपयोग कर सकते हैं।
– अगर डॉग के शरीर में टिक दिखे, तो उसे खींचकर न निकालें, बल्कि उसपर टिक स्प्रे करें, एक-दो घंटे में टिक खुद मर जाएगी। ऐसा करने से टिक फीवर की संभावना कम हो जाएगी।
– डॉग को समय पर नहलाएं।
– सही डाइट दें ताकि उनकी इम्यूनिटी बनी रहे और इंफेक्शन से लड़ने की ताकत मिले। टिक फीवर होने पर डॉग को खाने में सही पोषण दें, जैसे- मटर लीवन, मटन सूप, चुकंदर, नारियल का पानी, कीवी, आदि।