देश में मौसमी वर्षा पर वायु प्रदूषण का प्रभाव

विशेषज्ञ अध्ययनों से पता चला है कि वायु प्रदूषण (Air poppulation)  देश की मानसूनी वर्षा को भी प्रभावित करता है।  यह जानकारी ‘एंथ्रोपोजेनिक एरोसोल्स एंड द वीकनिंग ऑफ द साउथ एशियन समर मॉनसून’ रिपोर्ट में सामने आई है।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र अंतर सरकारी पैनल (IPCC) की जलवायु परिवर्तन 2021  भौतिक विज्ञान आधार रिपोर्ट भी चिंताएं उठाती है। 1951 से 2019 तक, दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश के औसत में कमी आई है।  यह स्थिति अगले कुछ वर्षों तक बनी रहेगी और वायु प्रदूषण इसमें प्रमुख भूमिका निभाएगा।

‘वायु प्रदूषण से देश भर में दक्षिण-पश्चिम मानसून की वर्षा में 10 से 15 प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है।  कुछ जगहों पर बारिश 50 प्रतिशत तक भी हो सकती है।  वायु प्रदूषण बारिश के आगमन और गति को भी प्रभावित कर सकता है।  वायु प्रदूषण के कारण, सतह का तापमान अपेक्षित स्तर तक नहीं बढ़ सकता है।  वायुमंडलीय प्रदूषकों की उपस्थिति ग्लोबल वार्मिंग को कुछ हद तक कम करती है।  दिलीप गांगुली ने कहा।

बढ़ता प्रदूषण बारिश के बादलों के निर्माण को बाधित करता है।  दोनों प्रकार के प्रभाव सतह को ठंडा करते हैं, वातावरण को स्थिर करते हैं, और गर्मी को खत्म करने की क्षमता को कम करते हैं।  यह वाष्पीकरण को कम करता है और वर्षा को प्रभावित करता है।

पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.  रॉक्सी मैथ्यू कोल के अनुसार, ‘भूमि और समुद्र के तापमान में अंतर के कारण वर्षा होती है।

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