Book Review: चीनी साजिशों का पर्दाफाश, भारत को उभरती हुई महाशक्ति बनने की राह में चीन बिछा रहा कांटे
तथ्य और कथ्य में बहुत बड़ा अंतर होता है, लेकिन जब कथ्य में तथ्य को बड़ी कारीगरी से गूंथ दिया जाता है तो यह अंतर कहीं मालूम नहीं पड़ता। नवोदित लेखक रणविजय की पुस्तक ‘ड्रैगन्स गेम’ इसी पहलू पर खरी उतरती हुई प्रतीत होती है। जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि उनकी यह किताब ड्रैगन यानी चीनी तिकड़मों पर आधारित है। स्वयं को महाशक्ति बनाने और उसकी राह में आने वाली संभावित शक्तियों की मुश्किलें बढ़ाने में चीनी चालबाजियां छिपी नहीं रही हैं। लेखक ने यथार्थ के करीब इन्हीं षड्यंत्रों की कड़ियों को जोड़कर कल्पना का एक रोमांचक तानाबाना बुना
यह पुस्तक बताती है कि चीन किस तरह भारत के खिलाफ ऐसी साजिशें रचता है ताकि भारत के प्रति दुनिया का भरोसा कम हो। अनेक घटनाओं के माध्यम से इस धारणा को पुष्ट करने का लेखक ने प्रयास किया है। इसे दर्शाने में लेखक ने काल्पनिकता का सहारा अवश्य लिया है, लेकिन जब आप यह पढ़ेंगे कि वर्ष 2012 में 29-30 जुलाई की रात करीब दो बजे लगभग पूरे उत्तर भारत में एकसाथ बिजली आपूर्ति ठप हो गई थी, तो सहज ही जान जाएंगे कि यह कहानी पूरी तरह से सत्य घटनाओं पर आधारित है। लेखक ने बिगड़ैल पड़ोसी के ऐसे कई कुचक्रों को बेहद सरलता से समझाया है।
इसमें वर्णित दांवपेच और पर्दे के पीछे की कहानियां सुन-समझकर यह महसूस होता है कि किसी देश को अपनी खुफिया एजेंसियों पर खर्च को लेकर कोई गुरेज नहीं होना चाहिए। यह पुस्तक इन एजेंसियों और उनके कामकाज के तौर-तरीकों पर रोशनी डालते हुए उनके बारे में सोचने पर मजबूर करती है। पुस्तक में उल्लिखित घटनाएं और उनकी तारीख वास्तविक हैं, जिन्हें कोई भी जागरूक पाठक स्वयं पकड़ लेगा और खोजी पाठक गूगल से तलाश लेगा। भारत को एक उभरती हुई महाशक्ति बनने के मार्ग में चीन किस प्रकार कांटे बिछा रहा है, उसके लिए किन साजिशों का सहारा ले रहा है, उन्हें समझाने के लिहाज से यह पुस्तक अपने उद्देश्य में सफल होती है।