Railway news: मुंबई में मूसलाधार बारिश ने किया भार नुकसान, ‘पटरी’ पर ट्रेन को लाने में लगते 15 दिन लेकिन रेलवे ने 48 घंटों में ही कर दिखाया काम

रेलवे ने बारिश के बाद हुए नुकसान के बाद राहत के लिए तकरीबन 1500 मजदूरों की व्यवस्था कर ली। ये मजदूर मुंबई उपनगरीय सेक्शन, पुणे और भुसावल डिविजन से बुलाए गए।

मुंबई
मध्य रेलवे से लंबी दूरी की ट्रेनें जब निकलती हैं, तब उन्हें मुश्किल घाट सेक्शन से निकालना पड़ता है, जो देश के जिन चुने दुर्गम सेक्शन में से एक है। मुंबई से उत्तर भारत की ओर जाने वाली ट्रेनें हों या दक्षिण भारत की ओर, उन्हें घाट से मुश्किल डगर से गुजरना ही है।

पिछले सप्ताह मुंबई और आसपास के इलाकों में हुई मूसलाधार बारिश के कारण रेलवे को काफी नुकसान हुआ। खासतौर पर मध्य रेलवे के घाट सेक्शन में चट्टानें पटरी पर गिरने, ओवरहेड वायर के खंभे पटरी पर गिरने और पटरियों के नीचे से गिट्टियां बह जाने के कारण इस सेक्शन से ट्रेनों की आवाजाही रोकनी पड़ी। लेकिन ताज्जुब वाली बात ये रही कि घाट सेक्शन में जितना नुकसान हुआ था, उसे सुधारने में 15 दिन लग जाते, लेकिन 48 घंटों में पूरा कर लिया गया।

कैसे हुआ राहत कार्य
पहाड़ों या घाटियों में जब मूसलाधार बारिश होती है, तब आम रास्ते के मुकाबले रोशनी कम हो जाती है। घाट से निकलने वाली ट्रेनों को लंबी सुरंगों से गुजरना पड़ता है, बारिश में इनकी हालत का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। ऐसे में कहीं से चट्टानों के टुकड़े पटरियों पर गिर रहे हैं, तो कहीं ट्रैक के नीचे से मिट्टी बहती चली जाती है। अब आप ही सोचिए यहां काम करना कैसा होगा। जब इस तरह की परिस्थितियां होती है तब काम आता है हिल गैंग। हिल गैंग द्वारा काफी हद तक प्री मॉनसून की तैयारियों के दौरान ढीले पड़े पत्थर के टुकड़ों को गिरा लिया जाता है, ताकि बारिश में कम नुकसान हों।

काम आया अनुभव
मध्य रेलवे में जबसे ट्रेनों का ऑपरेशन शुरू हुआ है, तब से इन पहाड़ों से रूबरू होना ही है। अतीत की खामियों से बहुत कुछ सबक भी मिला है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब किसी भी हालात में घाट सेक्शन में निगरानी के लिए संवेदनशील इलाकों में वॉचमैन तैनात किए गए हैं। मुंबई डिवीजन में 368 संवेदनशील जगहों पर वॉचमैन तैनात किए गए हैं। जहां अतीत के चट्टानें गिरने की ज्यादा घटनाएं हुई हैं, वहां सीसीटीवी से निगरानी हो रही है। मॉनसून में ट्रैक के नीचे से अगर गिट्टियां बह जाएं, तो खाली जगह भरने के लिए हर वक़्त चट्टानों के टुकड़े वैगन में भरे रहते हैं। घाट सेक्शन में ट्रैक से मलबा हटाने के लिए अब 24 घंटे एक जेसीबी जैसा सिस्टम ट्रेन पर लगा रहता है, जिसे दुर्घटना के तुरंत बाद रवाना कर दिया जाता है।

दूत से कम नहीं रेलवे का हिल गैंग
युद्ध के दौरान दुर्गम पहाड़ों में जिस तरह दुश्मनों से लड़ने के लिए सेना की विशेष टुकड़ी होती है, वैसे ही रेलवे की लिए होती है हिल गैंग जिसमें 10-15 कर्मचारी होते हैं। तो बारिश के दौरान जब ट्रेनें ठप पड़ जाती हैं, तब राहत और बचाव के लिए घटनास्थल तक पहुंचने लोगों के लिए हिल गैंग पथ प्रदर्शक के रूप में काम करता है। इनके लोग पूरे पहाड़ में ट्रैक पर पैदल चलते है और यदि कोई खतरा हो तो छोटा सा बारूद फोड़ कर अलर्ट करते हैं। इस बारूद का शोर सुरंग में सबसे ज्यादा काम आता है, जब घटनास्थल तक पूरे असले के साथ पहुंचने वाली टुकड़ियों को कुछ नजर ही नहीं आता है।

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