बनारस और पाकिस्तान के बीच ‘ठंडई’ के जायके पर अमेरिका ने लिया पाकिस्तान का पक्ष
साहब! ठंडई तो बनारसी ‘भिड़ा’ के पीते रहे हैं, कब से यह तो बनारसियों के दादा और परदादा भी नहीं जानते। बनारस की संस्कृति में ठंडई कब से रची बसी है कोई नहीं जानता। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में भोले को भांग का भोग लगते और ठंडई छनते पुरनिए बताते हैं युगों बीत चुके हैं। मगर, इस बार ठंडई पर बौद्धिक अधिकार को लेकर सवाल खड़ा हो गया है। इस बार अमेरिका दरअसल ठंडई को लेकर भारत- पाकिस्तान के बीच नहीं बल्कि बनारस और पाकिस्तान के बीच आ खड़ा हुआ है। चौंकिए नहीं जनाब! यह बात सोलह आने सच है। दरअसल, बनारसी ठंडई को पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास ने अपने आधिकारिक टि्वटर हैंडल से गर्मियों में पाकिस्तान का पारंपरिक पेय बताते हुए पोस्ट कर दिया है।
पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास ने लिखा : ‘क्या आपने कभी पाकिस्तान के ट्रेडिशनल ड्रिंक थडाल/थाडल के बारे में सुना है? सिंध प्रांत में इस समर ड्रिंक को थडाल/थाडल कहा जाता है जबकि पाकिस्तान के पंजाब में इसे सरदई कहा जाता है। इस पेय का व्यापक रूप से गर्मियों में अपने अद्वितीय स्वाद और ठंडे प्रभाव के कारण उपयोग किया जाता है।’ इस पोस्ट के साथ अमेरिकी दूतावास ने एक लेख का हवाला दिया है जिसमें ठंडई के ही तरीके से गर्मियों में पाकिस्तान में बनने वाले थडाल/थाडल या सरदई नाम से बनने और बिकने वाले इस पेय को पाकिस्तान का पारंपरिक पेय बताया गया है।
भारतीय ने इसे बनारसी ठंडई बताया : पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास की ओर से बनारस की चर्चित ठंडई को पाकिस्तान का पारंपरिक शीतल पेय बताने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने इस पर जो भी कहा लेकिन इसे जानने वाले भारतीय प्रांजल पांडेय ने इसे बनारस का पेय बताते हुए अमेरिकी दूतावास को ट्विटर पर मेंशन किया है। प्रांजल ने लिखा है कि- अगर मैं गलत नहीं हूं तो यह भारत में वाराणसी की ‘ठंडई’ है।
ठंडई पूरी तरह भारतीय : विकीपीडिया के अनुसार – ठंडाई या ठंडई एक भारतीय शीतल पेय है जो बादाम, सौंफ बीज, तरबूज गुठली, गुलाब का फूल पंखुड़ी, मिर्च, अफीम के बीज (पोस्ता), इलायची, केसर, दूध तथा चीनी से बनती है। इसका मूल भारत और महा शिवरात्रि तथा होली त्यौहार पर इसका अधिक प्रयोग किया जाता है। यह उत्तर भारत में सबसे अधिक खपत की जाती है। ठंडई के कई प्रकार हैं और सबसे आम हैं बादाम (बादाम) ठंडई और भांग (कैनबिस) ठंडई।
बनारस का शीतल पेय है ठंडई : वाराणसी में भगवान शिव की नगरी में भांग और बादाम की ठंडई आम है। गर्मियों में लोग इसका अधिक सेवन करते हैं और खासकर होली और शिवरात्रि पर कई जगह इसके लंगर लोगों को प्रसाद के रूप में भी दिए जाते हैं। घरों से लेकर प्रसिद्ध दुकानों तक ठंडई का जायका विश्व विख्यात है। पर्यटक भी बनारस आकर ठंडई का जायका लेना नहीं भूलते। कई पुरानी दुकानों में विविध प्रकार से ठंडई को दूध के साथ तैयार किया जाता है।
पाकिस्तान से ठंडई का रिश्ता : भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश आजादी से पहले एक थे। एक ही साझी विरासत और परंपरा के साथ ही खान पान भी एक ही था। पाकिस्तान के हिंदू बहुल सिंध इलाके में आज भी हिंंदू समुदाय शिवरात्रि और होली धूम धाम से मनाता है। वाराणसी के इतिहासकार मानते हैं कि साझी संस्कृति की वजह से संभव है कि बनारसी ठंडई पाकिस्तान में उर्दू और पंजाबी जुबान में सरदई या ठंडई का अपभ्रंश थाडल हो गया है। हालांकि मूलत: ठंडई बनारस या उत्तर भारत का ही शीतल पेय है।
पाकिस्तानियों ने अमेरिकी दूतावास को दिया जवाब : पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास की ओर से सरदई या थाडल पर पोस्ट जारी होने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने इस पेय को लेकर अपने विचार जाहिर करते हुए इसे पाकिस्तान में गर्मियों में अधिक पसंद किए जाने वाले पेय के तौर पर अपनी सहमति दी है। पाकिस्तान के सैयद कमाल हुसैन शाह ने इस पेय के चार अन्य पैकेज्ड और गिलास के साथ तस्वीरें पोस्ट की हैं। वहीं पाकिस्तानी शिराज खान ने इसे गरीब पाकिस्तानियों की व्हिस्की बताया है। वहीं मोइन इकबाल ने अमेरिकी की इस पोस्ट पर खिंचाई करते हुए लिखा है कि – एयरबेस खान फिर भी नहीं देगा।