नए रास्ते से भी शरीर पर हमला कर सकते हैं कोरोना के वैरिएंट, वैज्ञानिकों ने किया आगाह

कोरोना वायरस इंसान के साथ लुकाछिपी का खेल खेलने में जुट गया है। विज्ञानियों ने वैक्सीन बनाई, तो ऐसा लगता है कि कोरोना वायरस रूप बदलकर शरीर पर हमला करने की नई रणनीति बनाने में जुट गया है। एक हालिया शोध में सामने आया है कि वैक्सीन ने बचने के लिए उसने शरीर में घुसने के नए रास्ते तलाश लिए हैं। विज्ञानियों का तो यहां तक मानना है कि वह पहली और दूसरी लहर के परंपरागत रास्तों को छोड़कर अन्य रास्ते से शरीर में प्रवेश कर कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है।

कोविड 19 के शुरूआत में विज्ञानियों ने यह पता किया था कि सार्स-कोव-2 किस तरह से शरीर में प्रवेश कर संक्रमित करता है। कोरोना की वैक्सीन भी इसी को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। अब सेंट लुईस के वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन ने अपनी शोध में पता किया है कि सिंगल म्यूटेशन सार्स-कोव-2 को शरीर में अन्य रास्ते से प्रवेश करने की ताकत दे सकता है, जिसे एसीई 2 रिसेप्टर की आवश्यकता नहीं है। इसमें वह एंटीबाडी और वैक्सीन के प्रभाव से भी बच सकता है।

हालांकि शोध करने वाले विज्ञानियों को अभी इसके बचने के साक्ष्य नहीं मिले हैं। विज्ञानियों की इस शोध से यह पता चला है कि कोरोना वायरस कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए अपना रास्ता बदल सकता है। यह अध्ययन जर्नल सेल रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है।

इस बीच डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कम से कम 85 देशों में पाया गया कोविड-19 का डेल्टा स्वरूप अभी तक सामने आए सभी स्वरूपों में सबसे अधिक संक्रामक है। यह वैरिएंट लोगों में तेजी से फैल रहा है जिन्होंने कोविड रोधी वैक्‍सीन नहीं लगवाई है। डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेद्रोस अदहानम गेब्रेयेसस ने शुक्रवार को जेनेवा में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मैं जानता हूं कि अभी विश्वभर में डेल्टा स्वरूप को लेकर काफी चिंता है। सनद रहे कि कोरोना का डेल्टा प्‍लस वैरिएंट सबसे पहले भारत में पाया गया।  

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