Weight Loss & Sleep: सोने से भी कम हो सकता है वज़न, जानिए क्या है मोटापे और नींद का संबंध!

Weight Loss & Sleep: क्या आप भी उन लोगों में से हैं, जो वज़न घटाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सही डाइट और रोज़ाना वर्कआउट के बावजूद आपका वज़न कम होने का नाम नहीं ले रहा? क्यों न इस बात पर ध्यान दें कि आप कितने घंटे सो पाते हैं। अगर आप कई कोशिशों के बाद भी वज़न घटाने में असमर्थ हैं, तो इस बात की उम्मीद ज़्यादा है कि आपकी नींद पूरी नहीं हो पा रही है।

अगर आप पर्याप्त नींद लें तो आप वज़न बढ़ाने से बच सकते है और आने वाले समय में वज़न घटा भी सकते हैं। कई बार मज़ाक में कहा जाता है कि अगर आप ज़्यादा सोएंगे, उतना ही आपके लिए वज़न घटाना आसान होगा, लेकिन असल में इस बात के पीछे कई वजह हैं। इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क है, आइए इसे समझते हैं।

नींद न पूरी होने पर बढ़ सकता है मोटापा: इस बात को साबित करने के लिए “महिलाओं में कम नींद और वजन बढ़ने के बीच संबंध” नाम से शोध हो चुका है। यह अध्ययन अमेरिका के क्लीवलैंड विश्वविद्यालय के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों द्वारा किया गया था। इस दौरान 16 सालों तक 60,000 ऐेसे नर्सों पर अध्ययन किया गया जो मोटापे से ग्रस्त नहीं थीं। आखिर में, उन्होंने पाया कि जो नर्सें हर रात पांच या उससे कम घंटे सोती थीं, उनमें रोज़ाना 7 या उससे ज़्यादा घंटे सोने वाली नर्सों की तुलना में मोटे होने की संभावना 15 प्रतिशत अधिक थी।

नींद न पूरी होने पर ज़्यादा खाने का ख़तरा ज़्यादा: भूख के हार्मोन लेप्टिन और घ्रेलिन मुख्य रूप से नींद के दौरान बनते हैं। नींद की कमी इन दो प्रमुख हार्मोन के कामकाज को चुरा लेती है, जो भूख और तृप्ति के मार्कर हैं, जो आपको बताते हैं कि कब खाना है और कब रुकना है। जब आपको भूख लगती हैं और आप खाना खाना चाहते हैं, तो उस वक्त घ्रेलिन हार्मोन रिलीज़ होता है। जब तक आपके पेट में खाना नहीं चला जाता, तब तक घ्रेलिन की मात्रा बढ़ी हुई ही रहती है। जब आप खा लेते हैं, तब फैट सेल्स से लेप्टिन नाम का हार्मोन रिलीज़ होता है, जो भूख को दबा देता है और आपके दिमाग़ को संकेत भेजता है कि आपका पेट भर गया है। लेकिन जब आपकी नींद पूरी नहीं होती, तो इन दोनों हार्मोन की मात्रा कम हो जाती है और आपके खाने पर कंट्रोल नहीं रहता।

आप मांसपेशियां कमज़ोर होती हैं: जब आप सोते हैं, तब आपका शरीर खुद की मरम्मत करता है। सोते समय मांसपेशियों और ऊतकों के टूट-फूट की मरम्मत हो जाती है। जब आप अपेक्षित घंटे नहीं सो रहे होते हैं, तो आपका थका हुआ शरीर मरम्मत नहीं कर पाता है। नतीजतन, आपकी मांसपेशियां कमज़ोर और दुबली हो जाती हैं। जिसकी वजह से आप व्यायाम या वॉक करने जैसी चीज़ें के लिए कमज़ोर महसूस करती हैं।

डायबिटीज़ का ख़तरा बढ़ता है: जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (बाल्टीमोर – मैरीलैंड यूएसए) द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि खराब नींद कोशिकाओं को इंसुलिन प्रतिरोधी बनने का कारण बन सकती है। जब आप खा लेते हैं और पाचन प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तब रक्त शर्करा को अवशोषित कर लेता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो रक्तप्रवाह से चीनी को आपके शरीर की कोशिकाओं में ऊर्जा के रूप में उपयोग करने के लिए ले जाता है। क्योंकि नींद की कमी कोशिकाओं को इंसुलिन प्रतिरोधी बना सकती है, इसलिए रक्त प्रवाह में अधिक चीनी बनी रहती है और शरीर क्षतिपूर्ति करने के लिए अधिक इंसुलिन का उत्पादन करता है। इंसुलिन दिमाग़ को शरीर में ज़्यादा कैलोरी जमा करने का संकेत भेजता है। इंसुलिन प्रतिरोध, इसलिए, दो स्वास्थ्य से जुड़े ख़तरों को तैयार करता है – टाइप 2 डायबिटीज़ और वज़न का बढ़ना।

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