इन जीवों को नहीं होती है पत्नी की जरूरत, ये पति के बिना पैदा कर लेती हैं बच्चे
क्या कोई कल्पना कर सकता है कि इस पृथ्वी पर नर और मादा के समागम के बिना भी बच्चे पैदा किए जा सकते हैं। शायद इस प्रश्न पर कुछ लोग हंसने लगें लेकिन आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि कुछ जीवों ने नर और मादा के संगम की अनिवार्य स्थिति को बदलकर स्वयं ही ये क्षमता प्राप्त कर ली है कि वे बिना समाम बच्चे पैदा कर सकें। ये जीव अब नर और मादा मिलन के बिना धड़ाधड़ बच्चे पैदा कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने ऐसे जीवों को अलैंगिक नाम दिया है। इन अलैंगिक जीवों को खुद का क्लोन बनाने में महारत हासिल है।
ऐसे जीवों में वर्जिन कैंसर केकड़े शामिल हैं। मीठे पानी में पलने वाले इन केकड़ों मादाएं खुद का क्लोन बना लेती हैं।मार्बल कैंसर लैंगिक प्रजनन से कैसे दूर हुए यह साफ नहीं है. हालांकि इनके जीन का विश्लेषण करने से पता चला है कि ये उत्तर अमेरिकी क्रेफिश प्रजाति से जुड़े हुए हैं। वैज्ञानिक को आशंका है कि इनमें से किसी क्रेफिश का म्यूटेशन 1990 के दशक में हुआ जिसके कारण ये केकड़े लैंगिक प्रजनन से अलैंगिक प्रजनन की ओर चले गए। इसी तरह ब्डेलॉयडी नाम का यह जीव बगैर सेक्स के पिछले 4 करोड़ सालों से रह रहा है। इस लंबे अंतराल में पृथ्वी पर पर्यावरण की स्थिति में कई बार बदलाव हुए लेकिन यह जीव अब भी अस्तित्व में है और यह दूसरे जीवों से जीन लेकर अपने डीएनए में शामिल कर लेता है।
अलैंगिक प्रजनन का सबसे बड़ा फायदा है कि केवल एक महिला ही पूरी आबादी की शुरुआत कर सकती है। तस्वीर में दिख रहा सरीसृप वर्जिन गेको है। यह प्रशांत महासागर के बिल्कुल अलग थलग द्वीपों पर रहता है और पेड़ पौधों के साथ बहक कर शायद किनारों पर पहुंच गया। अगर मादाएं प्रजनन के लिए पुरुषों पर निर्भर हों तो संदिग्ध परिस्थितियों में वे ऐसा कभी नहीं करेंगी। वैसे सेल्फ क्लोनिंग कोई बहुत दूर की कौड़ी नहीं है यह बात कैद में रह रहे जीवों ने दिखा दिया। 2006 में लंदन के चिड़ियाघर में रह रही वर्जिन मादा कोमोडो ड्रैगन ने चार बच्चों को जन्म दिया। चारों बच्चे नर थे और जाहिर है कि उनके क्लोन वहां मौजूद नहीं थे क्योंकि बच्चों में केवल मां का डीएनए था। माराम झींगा, ब्डेलॉयडी और गेको तो हमेशा मादा होते हैं सतरंगी छिपकली मध्य और दक्षिण अमेरिका में रहती है। इनकी कुछ आबादी तो केवल मादाओं की है लेकिन कुछ ऐसी भी आबादियां हैं जिनमें नर और मादा साथ रहते हैं। स्तनधारियों में अलैंगिक प्रजनन अब तक नहीं देखा गया है। वैज्ञानिकों को संदेह है कि हमारे लिए बच्चे पैदा करना बेहद जटिल है। यह एक अच्छी बात है क्योंकि लैंगिक प्रजनन म्यूटेशन से होने वाले नुकसान के जोखिम को कम कर देता है। इसके साथ ही हर बार जीन का नया मिश्रण बनता है, जो नए जलवायु की परिस्थितियों के अनुसार हमें खुद को ढालने में मदद करता है।