अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में क्या-क्या बदला? तथ्यों के आधार पर जानिए…
24 जून को पीएम नरेंद्र मोदी के साथ जम्मू-कश्मीर के 14 नेता मुलाकात करने वाले हैं। इस बीच केंद्र सरकार पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगने लगे हैं कि अगस्त 2019 के बाद जम्मू कश्मीर में कितना बदलाव हुआ, कितनी तरक्की हुई। इसके अलावा जम्मू कश्मीर में फिलहाल विधानसभा सीटों के डीलिमिटेशन का काम जारी है। डीलिमिटेशन कमीशन को मार्च 2022 तक रिपोर्ट देनी है। इस प्रक्रिया में राज्य की 90 सीटों का दोबारा परिसीमन किया जाना है। जिसमें पिछले परिसीमनों में की गयी त्रूटियों को सुधारा जायेगा। यानि जम्मू कश्मीर के हरेक क्षेत्र को तय नियमों के आधार पर बराबर सीटों का बंटवारा होगा। जिसके मुताबिक अनुमान है कि जम्मू संभाग में सीटें बढ़ सकती हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने प्रदेश के तमाम राजनीतिक प्रतिनिधियों से बातचीत की शुरुआत कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में तेज़ी लाने और तमाम पार्टियों साथ लेकर चलने का प्रयास शुरु कर दिया है। इसी को लेकर 24 जून यानि गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। ताकि डीलिमिटेशन की प्रक्रिया में तमाम पार्टियां हिस्सा ले सकें। इसके अलावा जम्मू कश्मीर में पिछले 23 महीनों के विकासकार्यों पर ध्यान दिया जाए, तो 360 डिग्री बदलाव देखने को मिलेगा। चाहे वो विकास परियोजनाओं को लेकर हो, या प्रशासनिक स्तर पर या प्रदेश की जनता के अधिकारों का मामला हो। इनमें से कुछ मुख्य बदलाव बिंदुवार तरीके से नीचे दिये गये हैं –
● अनुच्छेद 370 निरस्त होने और 35A हटने के बाद जम्मू कश्मीर में भी भारतीय संविधान अन्य राज्यों के समान पूर्णतया: लागू हुआ है।
● जम्मू-कश्मीर में आधी आबादी यानि महिलाओं, दलितों (विशेषकर वाल्मिकी समाज), पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी, गोरखा समाज समेत पीओजेके विस्थापितों लाखों लोगों को समता, समानता और समान अवसर जैसे मूलभूत अधिकार के अलावा स्थायी निवासी होने का हक मिला है। जिससे तमाम राजकीय भेदभाव खत्म हुआ।
● राज्य में नई डोमिसाइल पॉलिसी लागू हुई है। जिसके तहत देश के अन्य राज्यों के निवासियों को भी जम्मू कश्मीर में बसने, जमीन खरीदने और स्थायी निवासी बनने का अधिकार मिला है। जम्मू कश्मीर और अन्य राज्यों के बीच की दीवार को हटा दिया गया है।
● देश के अन्य हिस्सों में बसे 5300 पीओजेके विस्थापित परिवारों को भी राहत पैकेज दिया गया है। साथ ही उनके जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासी बनने का रास्ता भी प्रशस्त हुआ है।
● 7वां वेतन आयोग 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू कश्मीर में तत्काल प्रभाव से लागू किया गया। इसके अलावा जम्मू कश्मीर सिविल सर्विस कैडर का अगमुट कैडर में विलय कर दिया गया है।
● अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार त्रिस्तरीय पंचायती राज की स्थापना हुई है। जिला पंचायत के चुनाव में 51.7% वोटिंग हुई। जिसमें पहली बार महिला आरक्षण लागू होने के बाद 100 महिलाएं चुनकर आई है। साथ ही पहली बार 280 जिला पंचायत सदस्य चुने गये और 20 जिलों में पहली बार जिलाध्यक्ष चुने गये हैं। जिन्हें डिप्टी कमिश्नर के समान प्रोटोकॉल दिया गया है।
● इसके अलावा पहली बार प्रदेश में राजनीतिक आरक्षण लागू किया गया है। जिसमें 20 जिलों में 6 महिला जिलाध्यक्ष, 2-2 एससी औऱ एसटी जिलाध्यक्ष चुने गये हैं।
● आतंकग्रस्त कहे जाने वाले साउथ कश्मीर समेत पूरे जम्मू-कश्मीर में पहली बार चुनाव के दौरान सुरक्षाबलों को कहीं पर भी गोली नहीं चलानी पड़ी है। वहीं चुनाव में घपला और अशांति नहीं हुई और लोगों ने भयरहित होकर मतदान किया है। वहीं 280 सीटों पर कुल 2178 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जिसमें 450 महिलाएं थी। जिला पंचायत चुनाव में एसटी कैटेगरी में शामिल 38 गुज्जर बक्करवाल जिला पंचायत सदस्य चुनकर आये, जिनमें 15 महिलाएं शामिल हैं। इससे पहले अब तक इस जनजाति का राजनीति में प्रतिनिधित्व बेहद कम रहता था।
● राज्य में चुनाव के दौरान कुल 4483 सरपंच निर्वाचन क्षेत्रों में से 3650 सरपंच निर्वाचित हुए हैं। वहीं 35029 पंच निर्वाचन क्षेत्रों में से 23660 पंच निर्वाचित हुए हैं। 3395 पंचायतों का विधिवत गठन हुआ और 1088 प्रशासक नियुक्त किए गए। विगत महीनों में पंचायतों को सुदृढ़ किया गया है और 21 विषय पंचायतों को सौंपे गए हैं। इसके अलावा पंद्रह सौ करोड़ रुपए उनके खाते में डाल कर उन्हें मजबूत किया गया, जिनमें आईसीडीएस, आंगनवाड़ी, मनरेगा की मॉनीटरिंग और खनन का अधिकार संबंधी विषय शामिल हैं। इससे वह आत्मनिर्भर होंगे, अपने गांव का विकास करेंगे और यह सब धारा 370 हटने के कारण संभव हो सका है।
● अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार त्रिस्तरीय पंचायती राज की स्थापना हुई है। जिला पंचायत के चुनाव में 51.7% वोटिंग हुई। जिसमें पहली बार महिला आरक्षण लागू होने के बाद 100 महिलाएं चुनकर आई है। साथ ही पहली बार 280 जिला पंचायत सदस्य चुने गये और 20 जिलों में पहली बार जिलाध्यक्ष चुने गये हैं। जिन्हें डिप्टी कमिश्नर के समान प्रोटोकॉल दिया गया है।
● इसके अलावा पहली बार प्रदेश में राजनीतिक आरक्षण लागू किया गया है। जिसमें 20 जिलों में 6 महिला जिलाध्यक्ष, 2-2 एससी औऱ एसटी जिलाध्यक्ष चुने गये हैं।
● आतंकग्रस्त कहे जाने वाले साउथ कश्मीर समेत पूरे जम्मू-कश्मीर में पहली बार चुनाव के दौरान सुरक्षाबलों को कहीं पर भी गोली नहीं चलानी पड़ी है। वहीं चुनाव में घपला और अशांति नहीं हुई और लोगों ने भयरहित होकर मतदान किया है। वहीं 280 सीटों पर कुल 2178 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जिसमें 450 महिलाएं थी। जिला पंचायत चुनाव में एसटी कैटेगरी में शामिल 38 गुज्जर बक्करवाल जिला पंचायत सदस्य चुनकर आये, जिनमें 15 महिलाएं शामिल हैं। इससे पहले अब तक इस जनजाति का राजनीति में प्रतिनिधित्व बेहद कम रहता था।
● राज्य में चुनाव के दौरान कुल 4483 सरपंच निर्वाचन क्षेत्रों में से 3650 सरपंच निर्वाचित हुए हैं। वहीं 35029 पंच निर्वाचन क्षेत्रों में से 23660 पंच निर्वाचित हुए हैं। 3395 पंचायतों का विधिवत गठन हुआ और 1088 प्रशासक नियुक्त किए गए। विगत महीनों में पंचायतों को सुदृढ़ किया गया है और 21 विषय पंचायतों को सौंपे गए हैं। इसके अलावा पंद्रह सौ करोड़ रुपए उनके खाते में डाल कर उन्हें मजबूत किया गया, जिनमें आईसीडीएस, आंगनवाड़ी, मनरेगा की मॉनीटरिंग और खनन का अधिकार संबंधी विषय शामिल हैं। इससे वह आत्मनिर्भर होंगे, अपने गांव का विकास करेंगे और यह सब धारा 370 हटने के कारण संभव हो सका है।
● सरकार ने विस्थापित कश्मीरी हिंदूओं के लिए 6 हजार सरकारी नौकरियों की व्यवस्था पिछले एक साल में की है।
● जम्मू कश्मीर के लिये वित्त वर्ष 2021-22 का कुल बजट अनुमान 1,08,621करोड़ रूपये रखा गया है, जिसमें विकासात्मक व्यय 39817 करोड़ रूपये है।
● कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों से जोड़ने वाली रेल परियोजना के तहत ऊधमपुर-बारमूला रेल मार्ग का निर्माण जारी है। जो अगले साल बनकर तैयार हो जाय़ेगा।
● 300 मेगावाट बिजली क्षमता के संबंध में एक सहमति पत्र पर हस्तक्षर हुए हैं।
● प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 3 मार्च 2021 तक 29429 घर बनाये गये हैं।
● 2019-20 में छह लाख लोगों ने विभिन्न खेल गतिविधियों में भाग लिया है। ऐसा इसलिए मुमकिन हुआ क्योंकि राज्य में कानून व्यवस्था सामान्य स्थिति में है।
● जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 3.50 लाख फाइलों के 2 करोड़ से अधिक पन्नों को ‘ई-ऑफिस’ प्रॉजेक्ट के तहत सफलतापूर्वक डिजिटलाइज किया है। इससे जहां करोड़ों रुपये की बचत होगी, वहीं इन फाइलों को दरबार मूव के दौरान जम्मू से श्रीनगर और श्रीनगर से जम्मू ले जाने की जरूरत भी नहीं होगी। इससे साल में लगभग 50 करोड़ का व्यय कम होगा।
● जम्मू-कश्मीर में विकास को गति देने के उद्देश्य से उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 12600.58 करोड़ रुपये के जिला कैपेक्स (पूंजी व्यय) बजट को मंजूरी दी है। इस वर्ष 2021-22 के लिए स्वीकृत यह विकास राशि बीते वित्त वर्ष की तुलना में दोगुना से भी अधिक है। वर्ष 2020-21 में 5134.40 करोड़ रुपये की विकास योजना मंजूर मिली थी। राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद यह पहला बजट है, जिसमें विकास योजनाओं का खाका पंचायत, ब्लॉक विकास और जिला विकास परिषद की अनुशंसा से तैयार किया गया है।
● जम्मू कश्मीर सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में गांव की ओर (बैक टू विलेज) कार्यक्रम के तहत 50 हजार युवाओं को स्वरोजगार के लिए वित्तीय मदद देने का प्लान लागू किया है। इसके अलावा विभिन्न सरकारी विभागों में 18 हजार पद भी चिह्नित कर आवेदन मांगे जा चुके हैं। कुल 25 हजार सरकारी नौकरी का लक्ष्य इस साल रखा गया है।
● जम्मू-कश्मीर में कुल 23,111 सरकारी स्कूलों के साइन बोर्ड का बैकग्राउंड तिरंगा बनाया गया और उसके ऊपर स्कूल के बारे में सारी जानकारी लिखी गयी है। स्कूलों बच्चों में देश के राष्ट्रध्वज के प्रति सम्मान बढ़ाने की दृष्टि से ये फैसला लिया गया है।
● केंद्र सरकार ने पीएम विशेष राहत पैकेज के तहत जम्मू कश्मीर के विकास के लिए 80 हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया है। इस पैकज के तहत आईआईटी, आईआईएम और एम्स के अलावा आधारभूत क्षेत्रों जैसे सड़क, बिजली और सिंचाई परियोजनाओं सहित सभी रुके हुये विकास कार्यों को जल्द ही पूरा किया जा रहा है।
● साल 2021 के अंततक जम्मू-कश्मीर के 11 लाख घरों में स्वच्छ पानी की आपूर्ति करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने 10500 करोड़ रुपये जारी किये हैं। पानी के लिए अब भविष्य में लोगों को सिर्फ प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
● कठुआ जिले में सिंचाई के लिए 6000 करोड़ रुपये की लागत के उझ हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली है। कठुआ जिले में इस परियोजना के तहत रावी की सहायक उझ नदी का 0.65 मिलियन एकड़ फुट पानी स्टोर किया जा सकेगा। इस परियोजना के पूरा होने जाने के बाद भारत के हिस्से के फ्री पानी को पाकिस्तान में बहने में रोक लगेगी।
● विश्वस्तरीय, सुरक्षित, विश्वसनीय और टिकाऊ सार्वजनिक परिवहन सुविधा प्रदान करने के लिए श्रीनगर और जम्मू शहरों के लिए एलिवेटेड लाइट रेल प्रणाली की योजना बनाई जा रही है। इस परियोजना के लिए 10,599 करोड़ रुपये का डीपीआर तैयार किया गया है। लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम (एलआरटीएस) जिसमें जम्मू में एक कोरिडोर और श्रीनगर में दो कोरिडोर होंगे, 4 वर्ष में पूरा हो जाएगा। अनुमान है कि साल 2024 तक लाइट मेट्रो चलनी शुरू हो जायेगी।
● वित्तीय वर्ष 2020-2021 में जम्मू-कश्मीर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन (जेकेआईडीएफसी) विभाग ने अभी 1313.24 करोड़ की लागत के 593 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी है। जिसमें नागरिकों की सुविधा से जुड़ी परियोजनाएं शामिल थी। जिनमें ज्यादाकर परियोजनाएं 6 महीने के अंदर तैयार कर ली गयी हैं। जिसमें 50 नये रोड, 56 ब्रिज और 5 बिल्डिंग शामिल है।
● जम्मू-कश्मीर में बीआरओ ने लगभग 100 करोड़ की लागत से साल 2020-2021 में 17 महत्वपूर्ण पुल का निर्माण किया है। ये पुल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की आवाजाही की सुविधा प्रदान करेंगे और दूर-दराज के सीमावर्ती क्षेत्रों के आर्थिक विकास में भी योगदान देंगे। इनमें 4 अखनूर सेक्टर में स्थित हैं और 2 जम्मू-राजपुरा क्षेत्र में स्थित है।
● जम्मू रिंग रोड परियोजना का काम जारी है, जो करीब 60 किमी लंबा है। सांबा जिले के राया मोड़ से शुरू हुआ जम्मू रिंग रोड, बिशनाह, निक्की तवी अखनूर, कोटभलवाल और जगटी होते हुये जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग 1-ए से जुड़ जायेगा। इसके पहले चरण का काम अगस्त 2020 में पूरा कर लिया गया था।
● कटरा और रियासी के बीच भारतीय रेल द्वारा देश का पहला केबल पर टिका रेल ब्रिज के निर्माण का काम जारी है। ये ब्रिज ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का एक हिस्सा है, जो जम्मू कश्मीर क्षेत्र में रेलवे नेटवर्क को मजबूत करेगा और राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस ब्रिज को चिनाब नदी के ऊपर बनाया जा रहा है। अंजी ब्रिज पूरी तरह से केबिल पर ही टिका होगा। जबकि इस पुल की लम्बाई 473.25 मीटर है। इसमें लगे खम्बे की ऊंचाई नदी के तल से 331 मीटर है। बता दें ये कुतुब मिनार से लगभग 4 गुना ऊंचा है। इस पुल को सपोर्ट देने के लिए 96 केबिल का जाल बनाया जायेगा।
● जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के लिए 520 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज को मंजूरी मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के विशेष पैकेज से वहां के लोगों का जीवन और सुगम होगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत नये ‘टीचिंग-लर्निंग एंड रिजल्ट्स फॉर स्टेट्स’ (स्टार्स) कार्यक्रम को भी मंजूरी दी गई है। विश्व बैंक से सहायता प्राप्त इस कार्यक्रम के तहत 5718 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
● वहीं 2025 तक लगभग 3498 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता तैयार करने की योजना बनाई है। पिछले 2 वर्षों में ही लगभग 3000 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं को फिर से शुरू किया गया है। जम्मू कश्मीर में शत प्रतिशत लोगों के घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है और 3,57,405लोगों को 70 साल से बिजली नहीं मिल रही थी उन्हें 17 महीने में बिजली दी गई है। इस वर्ष 36 किलोमीटर लंबी 33 केवी लाइन बिछाकर एलओसी पर स्थित केरन और मुन्दिआन गांवों को ग्रिड से जोड़ दिया गया है।
● सितम्बर 2022 तक सभी 18.16 लाख ग्रामीण परिवार पाइप द्वारा 100% जलापूर्ति से कवर हो जाएंगे। अभी तक 4 जिलों में शत-प्रतिशत घर कवर हो गए हैं। मार्च 2022 तक नौ जिले कवर हो जाएंगे और बाकी सात जिले सितम्बर 2022 तक कवर हो जाएंगे।
● प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ (पीएमजीएसवाई) के तहत जम्मू और कश्मीर 2020-21 में 5300 कि.मी.सडकों के निर्माण की योजना पर काम जारी है।
● इसके अलावा जम्मू कश्मीर में 2 एम्स बनाये जा रहे हैं। जम्मू संभाग के विजयपुर, सांबा जिले में 750 बेड का एम्स और कश्मीर संभाग के अवंतीपोरा में दूसरा एम्स बन रहा है। इसके अलावा श्रीनगर में 500 बिस्तरों वाला नया बाल अस्पताल, जम्मू में 200 बिस्तरों वाले नए मातृत्व अस्पताल, जम्मू में नए हड्डी और जोड़ अस्पताल, जीएमसी जम्मू में 100 बिस्तर के आकस्मिक चिकित्सा ब्लाक, जम्मू में बालक और बालिका छात्रावास का निर्माण, जीएमसी श्रीनगर में नर्सिंग महाविद्यालय का निर्माण, 17 जिला अस्पतालों का निर्माण जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं शामिल हैं।
● एबी-पीएमजेएवाई- सेहत योजना के तहत जम्मू कश्मीर के सभी लोगों को पाँच लाख रुपये तक निशुल्क स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने और स्वास्थ्य बीमा को समावेशी बनाने के लिए सरकार ने इस स्वास्थ्य बीमा योजना की परिकल्पना की गई है। इसके तहत जम्मू और कश्मीर के सभी निवासियों के लिए फ्लोटर आधार पर प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा दिया गया है। पीएम-जेएवाई का परिचालन विस्तार एबी-पीएमजेएवाई के तहत पहले से ही कवर किए गए 5.97 लाख परिवारों के अलावा लगभग 15 लाख अतिरिक्त परिवारों तक किया गया है और यह देश में अपनी तरह की पहली योजना है। इस योजना के तहत अब तक 20.02 लाख लाभार्थियों को पंजीकृत किया गया है, जिनमें से 1.91 लाख लाभार्थियों को गोल्डन कार्ड जारी किए गए हैं। अब तक लगभग 41% परिवारों, जिनमें कम से कम एक सदस्य पंजीकृत है का सत्यापन किया जा चुका है। पीएम-जेएवाई योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पताल इस योजना के तहत भी सेवाएं प्रदान करेंगे।