जानें जबरन मतांतरण को रोकने के लिए क्या है कानून और कैद के साथ कितना हो सकता है जुर्माना

केंद्रीय स्तर पर देश में मतांतरण को लेकर कोई कानून नहीं है। हालांकि पहले इसके लिए प्रयास हुए पर असफल ही रहा लेकिन अब देश के कई राज्यों में मतांतरण को रोकने के लिए कानून लागू किया गया है। 1968 में ओडिशा और मध्य प्रदेश ने जबरन ‘मतांतरण’ जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए कदम उठाए। ओडिशा में मतांतरण विरोधी कानून में अधिकतम दो साल की कैद के साथ जुर्माना निर्धारित किया गया। इसके बाद तमिलनाडु और गुजरात में भी मतांतरण संबंधित कानून लागू किए गए। इसी साल फरवरी में उत्तर प्रदेश सरकार ने भी मतांतरण विरोधी कानून को लागू कर दिया।

इन राज्यों में लागू है कानून

देश के इन राज्यों में लागू है मतांतरण पर रोक लगाने वाले कानून:- ओडिशा (1967), मध्य प्रदेश (1968), अरुणाचल प्रदेश (1978), छत्तीसगढ़ (2000 व 2006), गुजरात (2003), हिमाचल प्रदेश (2006 व 2019), झारखंड (2017), उत्तराखंड (2018), उत्तर प्रदेश (2021)। इनके अलावा 2002 में तमिलनाडु और 2006 व 2008 में राजस्थान ने भी इस कानून को लागू किया लेकिन बाद में रद कर दिया गया। दरअसल तमिलनाडु में 2006 में ईसाई अल्पसंख्यकों ने इसे रद करने के लिए प्रदर्शन किया था जिसके बाद इसे वापस ले लिया गया। वहीं राजस्थान में तो इस विधेयक को गवर्नर और राष्ट्रपति की मंजूरी ही नहीं मिली।

भारत धर्मनिरपेक्ष देश है यानि यहां के लोगों को किसी भी धर्म को मानने की आजादी है। इसके बावजूद देश में जबरन धर्म परिवर्तन के मामले सामने आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में इसी तरह का सनसनीखेज मामला सामने आया है। दो साल से चलाए जा रहे रैकेट के बारे में पता चला है जो अब तक 1000 लोगों को जबर्दस्ती धर्म बदलवा चुकी है। यह मूक-बधिर बच्चों और महिलाओं को निशाना बनाती है। ऐसे ही मामलों से निपटने के लिए देश में धर्मांतरण से जुड़ा कानून लाया गया। कई राज्यों में इसे लागू कर दिया गया है। इसमें कड़े प्राविधान बनाए गए हैं और इसका उल्लंघन करने वालों के लिए सजा भी निर्धारित की गई है।

ये हैं कानून-

गैरकानूनी तरीके से धर्म बदलकर और पहचान छिपाकर शादी करने के मामले में सख्त सजा व जुर्माने का प्राविधान है। इसके अनुसार, यदि धर्म बदलना चाहते हैं तो इसके लिए दो माह पहले नोटिस देना होगा। इसके तहत शादी से पहले धर्म परिवर्तन के लिए 2 महीने पहले नोटिस देना होगा। अल्पसंख्यक समुदाय के लिए इस कानून का उल्लंघन करने वालों को दो से 10 साल की जेल की सजा हो सकती है। उत्तर प्रदेश में इस साल के फरवरी माह में यह कानून पारित किया गया वहीं गुजरात सरकार ने गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2021 को 15 जून से लागू कर दिया है। इसके जरिए जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाई जाएगी। उल्लेखनीय है कि 42वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में संशोधन करके धर्म निरपेक्ष शब्द शामिल किया गया था।

उल्लंघन करने वालों के लिए ये है सजा-

– धर्म छिपाकर शादी करने वालों को 10 साल तक की सजा व 15,000 से 50,000 रुपये तक का जुर्माना

– शादी के नाम पर धर्म परिवर्तन होगा अवैध

– जिलाधिकारी से अनुमति के बाद ही धर्मगुरु करवा सकता है धर्म परिवर्तन

– धर्म परिवर्तन करने वालों के लिए भी जरूरी है जिलाधिकारी की अनुमति

– सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कराने वालों को 10 साल की सजा और 50 हजार का जुर्माना

– धर्म परिवर्तन कराने वाले संगठन की होगी मान्यता रद

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