सोडा व पानी की आड़ में शराब पर विज्ञापन, हाई कोर्ट ने केंद्र के तीन मंत्रालयों से मांगा जवाब

 छत्तीसगढ़ चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष रामअवतार अग्रवाल ने सोडा और पानी बोतल की आड़ में टीवी चैनलों में प्रसारित शराब के विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय व केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। प्रकरण की अगली सुनवाई के लिए चार सप्ताह बाद का समय निर्धारित किया है। याचिका की सुनवाई कार्यकारी चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू की युगलपीठ में हुई।

दायर जनहित याचिका में बताया गया है कि ड्रग्स एवं शराब की कंपनियों द्वारा टीवी व अन्य माध्यमों से धड़ल्ले से विज्ञापन किया जा रहा है। टीवी चैनलों में दिखाए जाने वाले विज्ञापन के दृश्य इतने विवादित होते हैं कि परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर टीवी देखने वाले असहज महसूस करते हैं। परिवार के सदस्य या तो तत्काल टीवी बंद कर देते हैं या फिर छोटों के बीच से उठकर चले जाते हैं। भड़काऊ विज्ञापनों का असर युवाओं पर तेजी के साथ पड़ रहा है

याचिका में केंद्र सरकार के कड़े नियमों का भी हवाला दिया गया है। केंद्र सरकार द्वारा ड्रग्स बेचने व सेवन पर प्रतिबंध लगाया गया है। ऐसे विज्ञापनों पर रोक भी लगी हुई है, लेकिन प्रतिबंध के बाद भी शराब की कंपनियां चालाकी के साथ शराब व ड्रग्स का विज्ञापन कर रही है। सोडा या पानी की बोतलों के बहाने शराब के विज्ञापनों में लाखों रपये लुटा रही है। इन विज्ञापनों को चैनलों के जरिए महिमामंडित भी किया जा रहा है।

याचिकाकर्ता ने सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि बीते वर्ष नशीली चीजों की बिक्री में 15 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और देश में अपराध बढ़ने का प्रमुख कारण भी इसे ही माना गया है। याचिकाकर्ता ने यह भी आशंका जाहिर की है कि समय रहते इस पर रोक नहीं लगी तो नई पीढ़ी नशे की गिरफ्त में होगी। अगर ऐसा हुआ तो समाज में इसका बुरा असर पड़ेगा।

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