किसान की बेटी ने ब्रिस्टल में दिखाया दम, इंग्लैंड के खिलाड़ियों की स्लेजिंग भी रही बेदम

 किसान की बेटी जो आग में तपकर सोना बनी हो, उसकी एकाग्रता में स्लेजिंग (एक तरह से विपक्षी टीम के खिलाड़ियों से गालियां) से कोई असर नहीं पड़ने वाला। ऐसा ही हुआ भी है, क्योंकि भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऑलराउंडर स्नेह राणा ने इंग्लैंड की नाक में जमकर दम किया। पहले गेंद से और फिर बल्ले से इंग्लैंड के खिलाफ स्नेह राणा ने कहर बरपाया और मेजबान इंग्लैंड की टीम से जीत छीन ली।

भारत को भी इस मैच में जीत नहीं मिली, लेकिन भारतीय टीम ने लगभग हारा हुआ मैच स्नेह राणा के प्रदर्शन के दम पर ड्रॉ करा दिया। स्नेह राणा ने पहले गेंदबाजी करते हुए 4 विकेट झटके और जब बल्लेबाजी की बारी आई तो उन्होंने साबित कर दिया कि भले ही उनको पांच साल के बाद टीम में जगह मिली हो, लेकिन वे दमदार ऑलराउंडर हैं। पहली पारी में तो वे सिर्फ दो ही रन बना सकीं, लेकिन दूसरी पारी में उन्होंने कमाल कर दिया।

ब्रिस्टल में खेले गए एकमात्र टेस्ट मैच में स्नेह राणा ने 154 गेंदों में 13 चौकों की मदद से 80 रन की पारी खेली और मुकाबले को ड्रॉ कराया। एक समय ऐसा लग रहा था कि भारत पारी और कुछ रनों के अंतर से हार जाएगा, लेकिन स्नेह राणा और तानिया भाटिया को ये मंजूर नहीं था। यहां तक कि बल्लेबाजी करते समय स्नेह राणा के खिलाफ इंग्लैंड की खिलाड़ियों ने जमकर स्लेजिंग की, लेकिन उनकी एकाग्रता भंग नहीं हुई।

मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्नेह राणा ने स्लेजिंग की बात को कबूल किया और बताया, “हमें परेशान करना उनका काम था, और वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बहुत कुछ करते रहे। हमने कोई ध्यान नहीं दिया और हर गेंद के बाद एक-दूसरे से बात करते रहे, फिर चाहे वह दूर से हो या करीब आने पर। इसने हमारा हौसला बढ़ाया। हम इसे सिर्फ अपनी टीम के लिए करना चाहते थे। बीच में हमारी यही एकमात्र बातचीत थी।”

देहरादून के एक छोटे से गांव सिनौला के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली स्नेह राणा ने साल 2014 में डेब्यू किया था और करीब एक दर्जन मैच देश के लिए खेले, लेकिन इसके बाद उनको प्रदर्शन और घुटने की चोट के चलते टीम से बाहर होना पड़ा, लेकिन एक बार फिर से उन्होंने देश के लिए खेलने की ठानी और अपनी ट्रेनिंग जारी रखी। यहां तक कि देश के लिए पहला टेस्ट खेलने से कुछ ही महीने पहले उनके पिता का निधन हो गया था, लेकिन उनका साहस कम नहीं हुआ।

खुद पहले दिन के खेल के बाद उन्होंने कहा था कि वे अपने पिता को मिस कर रही हैं और डेब्यू टेस्ट मैच में किए प्रदर्शन को वे अपने पिता को समर्पित करना चाहती हैं। वहीं, एक अंग्रेजी अखबार के हवाले से उनके बचपन के कोच ने बताया है कि वे 9 साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलती आ रही हैं और उन्होंने ब्रिस्टल टेस्ट के दौरान भी स्नेह से बात की थी और कहा था कि तुमको बल्लेबाजी में खुद को साबित करने की जरूरत है और उन्होंने ऐसा किया था।

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