कच्चे तेल की कीमतों में आएगा उबाल:अगले साल तक 100 डॉलर प्रति बैरल हो सकती है कीमत, 2023 में घटेंगी कीमतें
- 2022 में यह अनुमान है कि इसकी औसत कीमत प्रति बैरल 75 डॉलर होगी
- तेल की खपत की रफ्तार आने वाले समय में 1970 के बाद से सबसे ज्यादा तेज होगी
कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल आने की आशंका है। खबर है कि 2022 के अंत तक इसकी कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो फिर भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और तेजी आएगी।
बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान
दरअसल ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस बैंक ऑफ अमेरिका ने एक रिसर्च नोट जारी किया है। उसने इस नोट में कहा है कि ब्रेंट क्रूड की कीमतें इस साल और अगले साल में ऊपर रहेंगी। यह तेल की सप्लाई और मांग के आधार पर बढ़ेंगी। इससे 2022 में कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के पार हो जाएंगी। नोट में कहा गया है कि हमारा मानना है कि वैश्विक स्तर पर तेल की जबरदस्त मांग से रिकवरी होगी।
18 महीनों तक सप्लाई पर असर होगा
नोट में कहा गया है कि अगले 18 महीनों में रिकवरी से तेल की सप्लाई पर असर होगा। इससे इसकी कीमतों पर इसका असर होगा। क्योंकि तेलों की इन्वेंटरी में काफी कमी है। तेलों के भंडार में यह कमी कीमतों में उबाल ला देगी। इसने कहा है कि ब्रेंड क्रूड की कीमतों का अनुमान पहले 63 डॉलर प्रति बैरल था। इसे अब बढ़ाकर 68 डॉलर कर दिया गया है। 2022 में यह अनुमान है कि इसकी औसत कीमत प्रति बैरल 75 डॉलर होगी जो कि पहले अनुमान 60 डॉलर का था।
अमेरिकी शेल ज्यादा प्रोडक्शन करेगा
इसने कहा है कि अमेरिकी शेल इस ज्यादा कीमतों के मामले में थोड़ी मदद कर सकता है, क्योंकि वह प्रोडक्शन ज्यादा कर सकता है। हालांकि इसका बहुत ज्यादा कीमतों पर फर्क नहीं होगा। हालांकि 2023 में कच्चा तेल फिर से 65 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास रह सकता है। बैंक ऑफ अमेरिका ने कहा है कि ऑयल मार्केट आगे भी सप्लाई को लेकर तनाव में रहेगा। इसमें अभी हर दिन 0.9 मिलियन बैरल की कमी है।
यह स्थिति अगले 6 महीने तक रह सकती है। इसका अनुमान है कि खपत की ग्रोथ से इसमें तेजी बनी रहेगी। खपत की यह रफ्तार 1970 के बाद से सबसे ज्यादा तेज होगी।
अभी भी काफी ऊपर हैं कीमतें
ऑयल की कीमतें अभी काफी ऊपर हैं। यह 60 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर लगातार बनी हैं। इस कीमत पर भारत में ज्यादातर इलाकों में 100 रुपए प्रति लीटर के पार पेट्रोल बिक रहा है जबकि डीजल की कीमतें भी इसी के करीब हैं। जानकारों का मानना है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर होती हैं तो फिर पेट्रोल और डीजल की कीमतें काफी ऊपर हो सकती हैं। हालांकि सरकार चाहे तो इस पर अपना टैक्स घटाकर ज्यादा कीमतों से लोगों को राहत दे सकती है।