मुंबई : पुलिस कमिश्नर के हेडक्वार्टर से फरवरी में हुई गाड़ियों की एंट्री रिकॉर्ड से गायब, ATS की जांच में सामने आया मामला
मुंबईः एंटीलिया कांड और मनसुख हिरण की जांच करने वाली एनआईए के सामने रोजाना नए नए खुलासे हो रहे हैं. हालही में पता चला कि जब महाराष्ट्र एटीएस स्कॉर्पियो गाड़ी चोरी की जांच कर रही थी उस दौरान एटीएस को ऐसी जानकारी मिली थी कि मनसुख की चोरी की गई स्कॉर्पियों मुंबई पुलिस के हेडक्वाटर में खड़ी थी. इसी जांच के दौरान एटीएस के अधिकारियों ने फरवरी के महीने में कौन कौन सी गाड़ी कमिश्नर ऑफिस में आई है उसकी इंट्री वाली रजिस्टर की मांग की. एटीएस ने कमिश्नर ऑफिस को इस बारे में लिखित रूप से पूछा और कुछ दिनों बाद एटीएस को कमिश्नर ऑफिस से मौखिक रूप से बताया गया कि फरवरी महीने का रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है.
ये बात काफी चौकाने वाली थी कि आखिर ऐसा क्या हुआ होगा कि फरवरी महीने में कौन कौन सी गाडियं कमिश्नर ऑफिस में आई इसकी एंट्री वाली बुक आखिर कैसे गायब हो सकती है और क्या किसी ने जानबूझकर इसे गायब किया है.
एटीएस ने कमिश्नर ऑफिस से कहा कि इसे लिखित रूप से बताया जाए कि आपका फरवरी महीने का रिकॉर्ड गायब हो गया है पर कमिश्नर ऑफिस ने अब तक एटीएस को किसी भी तरह का लिखित में नहीं दिया है. एटीएस के सूत्रों की माने तो इस पूरे घटनाक्रम को उन्होंने अपने रिकॉर्ड पर लिखा है ताकि इसके पीछे के जिम्मेदारों पर भी करवाई की जा सके.
एक अधिकारी ने बताया कि मुंबई पुलिस कमिश्नर ऑफिस के एंट्री पॉइंट पर जितने लोग तैनात होते हैं उनका इंचार्ज एक पुलिस इंस्पेक्टर (पीआई) रेंक का अधिकारी होता है जो कि लोकल आर्म्स विभाग से होता. जब एटीएस फरवरी में आई गाड़ियों के रिकॉर्ड की जांच कर रही थी उस समय उस पीआई ने पुलिस को अपनी पर्सनल बुक दिखाई जिसमे वो दिनभर के कामकाज को अपने लिए अपनी पर्सनल बुक में लिखता था.
उसने एटीएस को बताया कि उसकी इस पर्सनल बुक में वही सब लिखा है जो कमिश्नर ऑफिस के रिकॉर्ड बुक में लिखा था, हालांकि एटीएस ने उस पीआई की पर्सनल बुक को अपनी जांच का हिस्सा नहीं बनाया है. सवाल तो संगीन है अगर कमिश्नर ऑफिस से फरवरी महीने में कौन कौन सी गाड़ियां आई इसका रिकॉर्ड गायब हुए तो कैसे और अगर गायब हुए है तो उसके पीछे के जिम्मेदारों पर क्या करवाई की गई?
आपको बता दें कि 17 फरवरी को मनसुख हिरण की स्कॉर्पियों कार विक्रोली से चोरी हुई थी जिसके बाद वह गाड़ी सचिन वाझे के कहने पर उसकी सोसाइटी में खड़ी की गई जहां पर वो गाड़ी 20 फरवरी तक थी और फिर 21 से 24 तक वह गाड़ी कमिश्नर ऑफिस में खड़ी थी.