महाराष्ट्र सरकार की नई गाइडलाइन से लाइफलाइन में घटे यात्री

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार ऑफिस में कर्मचारियों की संख्या 50 फीसद तक सीमित करने का आदेश दिया गया है। इस आदेश के बाद यात्रियों की संख्या कम होने लगी है। पश्चिम रेलवे पर पिछले 3 दिन से लगातार यात्रियों की संख्या कम हुई है, जबकि मध्य रेलवे पर प्रतिदिन यात्रियों की औसत संख्या 21 लाख से घटकर 20 लाख रह गई है। हालांकि, अब भी वक्त की पाबंदियों के कारण ट्रेनों में सोशल डिस्टेंस नहीं हो पा रहा है।
1 फरवरी को सामान्य लोगों को अनुमति मिलने के बाद यात्रियों की संख्या दोगुनी हो गई, लेकिन लॉकडाउन से पहले जहां मुंबई में 80 लाख यात्री रोजाना चलते थे, यह संख्या फिलहाल 36-37 लाख तक सीमित है। 1 फरवरी से आम लोगों को नॉन पीक आर्स यानी सुबह पहली लोकल चलने से लेकर सुबह 7 बजे तक, फिर दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक और रात 9 बजे के बाद आखिरी लोकल चलने तक यात्रा की अनुमति दी गई है। समय के इस बंधन के कारण यात्रियों को परेशानी हो रही है।
लॉकडाउन के दौरान अतिआवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों के लिए रेलवे ने 15 जून 2020 से लोकल ट्रेनें शुरू की थीं। शुरुआत में केवल 30 हजार लोग यात्रा करते थे। समय के साथ यात्री और ट्रेनों की संख्या बढ़ती गई। महिलाओं को लोकल ट्रेनों में अनुमति मिलने के बाद 3 नवंबर 2020 तक रेलवे ने सर्विस संख्या बढ़ाकर 2,773 कर दी, तो यात्रियों की संख्या 10 लाख तक पहुंच गई। इस हिसाब से प्रति ट्रेन 320 यात्रियों का औसत रहा। कोविड के खतरे को देखते हुए ये सुरक्षित यात्री संख्या थी। 29 जनवरी 2021 तक यात्रियों की संख्या 19 लाख पहुंच गई, इस दौरान रेलवे 2,986 सर्विस चलाने लगी। प्रति सर्विस में औसतन 636 लोग यात्रा कर रहे थे, जो ट्रेन की कुल क्षमता से लगभग आधा था। लेकिन, अब प्रतिदिन 36-37 लाख यात्री सफर करने लगे हैं, जबकि सर्विस संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ है।
नवंबर 2020 तक जब केवल अतिआवश्यक सेवा से जुड़े यात्री चल रहे थे, तब सेवाएं भी उनकी सुरक्षा के लिहाज से पर्याप्त ट्रेनें चल रही थीं। महिलाओं को अनुमति मिलने के बाद यात्रियों की संख्या बढ़ती गई और सेवाएं भी बढ़ती गईं। इस दौरान, महिलाओं को सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक और शाम 7 बजे के बाद यात्रा की अनुमति दी गई। जब सामान्य लोगों को अनुमति मिली, तो अब ताजा संख्या के अनुसार, 22-23 लाख यात्री बढ़े हैं। यदि महिलाओं को भी इसमें शामिल कर लिया जाए, तो सामान्य यात्रियों की संख्या 32 लाख तक पहुंच जाएगी। नॉन पीक आर्स में पश्चिम और मध्य रेलवे को मिलाकर 2,986 सर्विस चल रही हैं।

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