मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को टीआरपी घोटाले की जांच के सिलसिले में मुंबई पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने पुलिस से कहा, किसी मामले में जांच हमेशा के लिए जारी नहीं रह सकती। जांच मशीनरी को एक पायदान पर आकर ठहरना ही पड़ता है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अदालत में यह बताने का आदेश दिया कि इस मामले में अपनी जांच पूरी करने के लिए पुलिस को कितना लंबा समय चाहिए। अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी।
जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस मनीष पिटाले की पीठ रिपब्लिक टीवी का संचालन करने वाली कंपनी एआरजी आउटलियर और पत्रकार अर्णब गोस्वामी की याचिकाओं पर अंतिम दलीलें सुन रही थी। पीठ ने इस मामले में जारी जांच का जिक्र करते हुए कहा कि सभी राज्य और केंद्रीय एजेंसियों को जांच करते समय उद्देश्यपूर्ण और तर्कसंगत रवैया अपनाना चाहिए।
पीठ ने कहा, ईडी, सीबीआई, राज्य पुलिस, सभी को उचित, निष्पक्ष मूल्यांकन के साथ कार्य करना चाहिए। पीठ ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ वकील अशोक मुंद्रागी की उस दलील पर की, जिसमें उन्होंने पीठ से कहा कि मुंबई पुलिस आरोपी के रूप में गोस्वामी और एआरजी आउटलायर मीडिया के अन्य कर्मचारियों का नाम लिए बिना मामले में अपनी जांच को लंबा खींच रही है, लेकिन आरोप पत्र में उन्हें केवल संदिग्ध बताया गया है। इस पर पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को अदालत के समक्ष यह बयान देना चाहिए कि पुलिस को मामले में अपनी जांच पूरा करने में कितना समय लगने की संभावना है।
पीठ ने राज्य सरकार से पूछा, आपके अधिकारी कब कहेंगे कि गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त कारण मौजूद हैं? पीठ ने फटकार लगाते हुए कहा, यदि राज्य सच में जिम्मेदारी समझता है तो उसे कहना चाहिए कि हम अपनी जांच 30 दिन के अंदर पूरी कर लेंगे। तर्कशीलता ऐसे दिखाई जाती है। पीठ ने कहा, आर्थिक अपराधों में हत्या के मामलों की तरह जांच नहीं होती, जहां एजेंसियों के पास जांच पूरी करने के लिए ज्यादा समय लगने का तर्क होता है। पीठ ने कहा, आप पहले आरोपी बनाने के बाद यह नहीं कह सकते कि आपके पास उसके खिलाफ सबूत नहीं है। यदि आपके पास सबूत है तो पहले उसे आरोपी बनाइए ताकि वह जान सके कि उन्हें किस तरह की राहत मिल सकती है। आप दोनों तरह से नहीं चल सकते।

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