पालघर की दिव्यांग शिक्षिका का ने पेश की मिसाल, छात्रों को कटे हुए हाथो से पढ़ा रही हैं
पालघर, कहते हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, अगर मन में कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो मंजिल आपको मिल ही जाती है। पालघर के विक्रम गढ़ तहसील की एक दिव्यांग शिक्षिका की कहानी भी ऐसी ही है। जिनके बिमारी की वजह से हाथ कट गए लेकिन हौसला नहीं टूटा।यह दिव्यांग शिक्षिका उन सभी के लिए एक मिसाल हैं जो खुद को असहाय महसूस करते हैं।
जहां चाह वहां राह, यह कहावत पालघर की एक शिक्षिका पर बिलकुल फिट बैठती है जिनका नाम है प्रतिभा हिलिम। जो आजकल पालघर जिले में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। साल 2019 में भिवंडी के स्कूल में पढ़ाते हुए बुखार से गंभीर रूप से पीड़ित हो गई थी। बाद में बुखार इतना ज्यादा बढ़ गया की जान बचाने के लिए उन्हें अपने हाथ पैर गवाने पड़े। बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी। और ठीक होने के बाद बच्चों को शिक्षा देने के काम जारी रखा है।
अपनी मेहनत के दम पर दुनिया के हर क्षेत्र में महिलायें अपना बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं। तमाम विषमताओं के बावजूद भी प्रतिभा हिलिम क्षेत्र की दूसरी दिव्यांग महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं। प्रतिभा उन इलाकों में स्टूडेंट्स को पढ़ा रही हैं जहां नेटवर्क की समस्या अक्सर होती रहती है।
राज्य में लॉकडाउन की वजह से स्टूडेंट्स को ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है। ऐसे में बहुत से इलाकों में लोगों को इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वहीं कई परिवार ऐसे भी हैं जहां एंड्राइड फ़ोन की उपलब्धता नहीं है। जिसके चलते कई छात्र पढ़ाई से वंचित थे। ऐसे ही छात्रों को प्रतिभा एकत्रित करके पढ़ाती हैं। दिव्यांग प्रतिभा स्टूडेंट्स को अपने हाथ की बेल्ट पर पेन कैप लगाकर उसमें चॉक का प्रयोग कर ब्लैकबोर्ड पर पढ़ाती हैं।