कल्याण में निजी लैब की गलत रिपोर्ट से कोरोना मरीज की जान खतरे में
मुंबई। मुंबई के पास कल्याण में निजी लैब की लापरवाही के चलते एक करोना मरीज के जान पर बन आई है। 48 घंटे तक कोरोना मरीज का बेटा ब्लड रिपोर्ट लिए प्लाजमा डोनर ढूंढता रहा। जब एक व्यक्ती डोनर के रूप में सामने आया तो पता चला की मरीज का ब्लड ग्रुप कुछ और ही है। अब इस मामले में लैब संचालक और संबंधित डॉक्टर पर कारवाई की मांग स्थानिक नगरसेवक कुणाल पाटिल ने की है। अब देखना होगा कि इस घोर लापरवाही के मामले में महापालिका क्या कार्रवाई करती है। दरअसल कल्याण के टाटा पावर परिसर में रहने वाले सुरेंद्र शाहू को कोरोना हुआ है। उनका इलाज कल्याण के ही आयुर नाम के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है और अब तक इलाज में काफी पैसे खर्च हो चुके हैं। अस्पताल के डॉक्टरों ने परिवार को बताया कि मरीज को प्लाज्मा की जरुरत है। पिता की जान बचाने के लिए बेटा सुरेंद्र शाहू ब्लड रिपोर्ट लिए 48 घंटो तक बी पॉजिटिव प्लाज्मा डोनर को ढूंढता रहा। रात दिन एक एक करने के बाद जब एक डोनर सामने आया तब प्लाज्मा देने से पहले सुरेंद्र शाहू का दोबारा फिर नमूना लिया गया। इस बार पता चला कि सुरेंद्र का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव नहीं, बल्कि अइ पॉजिटिव है। ऐसे में सवाल उठता है कि एक व्यक्ति जिसकी हालत पहले से की गंभीर बनी हुई है उसको गलत रिपोर्ट दिए जाने से प्लाज्मा देने में 47 घंटे की देरी से मरीज और उसके परिवार की क्या हालत हुई होगी। मामले की जानकरी के बाद जब स्थानीय नगरसेवक कुणाल पाटील द्वारा हेल्थ केअर लैब संचालक से संपर्क किया गया तब लैब चालक राकेश शुक्ला ने अपनी गलती मानी। फिलहाल स्थानिक नगरसेवक कुणाल पाटील और पीड़ित मरीज के बेटे ने लैब संचालक और संबंधित हॉस्पिटल पर कार्रवाई की मांग की है।