हरिवंश के बाद अब विपक्ष के समर्थन में शरद पवार रखेंगे उपवास, कहा- एक दिन नहीं ग्रहण करूंगा अन्न
मुंबई. पूर्व केंद्रीय मंत्री और नेश्नलिस्ट कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार (Sharad Pawar) ने राज्यसभा के सांसदों के धरने का समर्थन किया है.पवार ने कहा कि वह खुद उपवास करेंगे. उन्होंने कहा कि सदन में विरोधियों की आवाज नही सुनी गई.केंद्र सरकार ने जल्दी से ये विधेयक मंजूर किया. विरोधी पार्टी के लोगो के मन में शंका थी लेकिन उसका समाधान नहीं हुआ. जब नियम में रहकर जब समाधान नहीं हुआ तो कुछ लोगों ने ऐसा कदम उठाया.
पवार ने कहा कि ‘संसद में जो राज्य सभा में हुआ ऐसा पहले कभी देखने को नहीं मिला. मैं वहा जा नहीं सका क्योंकि मराठा आरक्षण को लेकर बैठक हो रही है. सभापति महोदय को सबको सुनना चाहिए था. इस तरीके से जो बिल पास हुआ उसके खिलाफ सदस्यों ने यह कदम उठाया. 50 साल से राजनीति में हूं लेकिन पीठासीन अधिकारी की ऐसी भूमिका नहीं देखी. मैं भी अन्न त्याग करूंगा और सदस्यों के अन्न त्याग को मेरा समर्थन है.’
एनसीपी नेता ने कहा कि ‘उपाध्यक्ष ने नियम को महत्व ने देते हुए काम किया जिसके जवाब में सांसद गांधी जी की मूर्ति के पास आंदोलन कर रहे हैं.’
विपक्ष का राज्यसभा की कार्यवाही के बहिष्कार का फैसला, निलंबित सांसदों का धरना खत्म
वहीं कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों द्वारा मंगलवार को मौजूदा मानसून सत्र की शेष अवधि में राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किए जाने के बाद निलंबित सांसदों ने संसद भवन परिसर में अपना धरना खत्म कर दिया.
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और निलंबित सांसदों में शामिल राजीव सातव ने कहा, ‘विपक्ष इस सत्र में उच्च सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करेगा. ऐसे में हमने धरना खत्म कर दिया है. अब हम सड़क पर आंदोलन करेंगे.’ इससे पहले, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब तक उच्च सदन के आठ सदस्यों का, मानसून सत्र की शेष अवधि से निलंबन वापस नहीं लिया जाता तब तक विपक्ष कार्यवाही का बहिष्कार करेगा.
गौरतलब है कि विपक्षी दलों ने रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे के चलते सोमवार को आठ विपक्षी सदस्यों को निलंबित किए जाने को लेकर सरकार पर निशाना साधा था तथा इस कदम के विरोध में वे संसद भवन परिसर में ‘अनिश्चितकालीन’ धरने पर बैठ गए थे.
निलंबित किए गए आठ सांसदों में कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य शामिल हैं. उच्च सदन में कृषि संबंधी विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान ‘अमर्यादित व्यवहार’ के कारण इन सदस्यों को मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया है.