पीजी मेडिकल के छात्रों को तीन महीने देनी ही होगी जिला अस्पताल में सेवा, जानें डिटेल
नई दिल्ली. दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं (Health Services in India) को उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. अब एमडी या एमएस की डिग्री ले रहे सभी मेडिकल स्टूडेंट्स को जिला अस्पतालों में तीन महीने के लिए अनिवार्य रूप से सेवाएं देनी होंगी. इसके बाद ही उन्हें अंतिम वर्ष की परीक्षा में बैठने के योग्य माना जाएगा. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के बोर्ड ऑफ गर्वनेंस ने यह फैसला लेते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था, जिसे मंजूरी मिल गई है. यह नियम 2020-21 के सेशन से ही लागू किया जाएगा.
डिस्ट्रिक्ट रेजीडेंसी प्रोग्राम किया लॉन्च
सरकार ने सभी पीजी छात्रों के लिए डिस्ट्रिक्ट रेजीडेंसी प्रोग्राम लॉन्च किया है. इस प्रोग्राम को संतोषजनक तौर पर पूरा करने के बाद ही छात्रों को अंतिम वर्ष की परीक्षा में शामिल होने दिया जाएगा. पीजी मेडिकल एजुकेशन तीन साल का कोर्स होता है. इस प्रोग्राम के तहत स्टूडेंट्स को तीसरे, चौथे या पांचवें सेमेस्टर में जिला अस्पताल में पोस्ट किया जाएगा. इन छात्रों को को ‘जिला रेजीडेंट’ के नाम से जाना जाएगा. जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए यह बदलाव किया गया है. भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 के तहत सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए अनिवार्य होगा.
बढ़ सकती हैं मेडिकल कॉलेज में सीट
बता दें कि इस प्रोग्राम की वजह से मेडिकल की सीटों में बढ़ोत्तरी भी हो सकती है क्योंकि लगभग एक चौथाई छात्र कॉलेज से बाहर रहेंगे ऐसे में कॉलेजों को एक्स्ट्रा सीट्स के लिए आवेदन मंगाने की अनुमति भी मिल सकती है. कॉलजे प्रोग्राम के लागू होने के एक साल बाद इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं.
डिस्ट्रिक्ट रेजीडेंसी प्रोग्राम किया लॉन्च
सरकार ने सभी पीजी छात्रों के लिए डिस्ट्रिक्ट रेजीडेंसी प्रोग्राम लॉन्च किया है. इस प्रोग्राम को संतोषजनक तौर पर पूरा करने के बाद ही छात्रों को अंतिम वर्ष की परीक्षा में शामिल होने दिया जाएगा. पीजी मेडिकल एजुकेशन तीन साल का कोर्स होता है. इस प्रोग्राम के तहत स्टूडेंट्स को तीसरे, चौथे या पांचवें सेमेस्टर में जिला अस्पताल में पोस्ट किया जाएगा. इन छात्रों को को ‘जिला रेजीडेंट’ के नाम से जाना जाएगा. जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए यह बदलाव किया गया है. भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 के तहत सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए अनिवार्य होगा.
बढ़ सकती हैं मेडिकल कॉलेज में सीट
बता दें कि इस प्रोग्राम की वजह से मेडिकल की सीटों में बढ़ोत्तरी भी हो सकती है क्योंकि लगभग एक चौथाई छात्र कॉलेज से बाहर रहेंगे ऐसे में कॉलेजों को एक्स्ट्रा सीट्स के लिए आवेदन मंगाने की अनुमति भी मिल सकती है. कॉलजे प्रोग्राम के लागू होने के एक साल बाद इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं.